बिलाई माता के उत्पत्ति की अत्भुत कहानी धमतरी





छत्तीसगढ़ की जिला धमतरी शहर में माँ बिलाई माता का
 मंदिर स्थित है । इन्हें माॅ विंध्यवासिनी भी कहा जाता है ।





जिस जगह अभी बिलाई माता का मंदिर स्थित है । वह जगह पहले घनघोर जंगलो से प्रफुल्ल था । एक दिन इसी जंगल मे राजा अपने घोड़े मे सवार होकर दल बल के साथ भ्रमण के लिए निकले

जंगल भ्रमण के दौरान राजा के घोड़े को रास्ते मे जंगली  काली बिल्लियों का झुंड बैठे हुए दिखा तो वह घोड़ा घबरा कर अपने स्थान खड़े हो गए ।


तब राजा अपने सेना को आदेश दिया कि जाओ देखो वह जंगली बिल्लीयों का झुंड किन चीजों को घेर कर बैठे हुए है ।
तब सेना ने अपने राजा के आदेश का पालन करते हुए उन सभी बिल्लियों को भगाकर देखा तो उस स्थान पर काले रंग का पत्थर दिखाई दिया जो जमीन के अंदर गड़ा हुआ और थोड़ा बाहर निकला हुआ था ।


तुरंत सेना ने राजा को काले पत्थर देखे जाने की जानकारी दी
यह बात सुनते ही राजा ने उस पत्थर को सुरक्षित निकालने का आदेश दिया ।


और उस पत्थर को निकालने की खुदाई भी जारी हो गई ।      परंतु पत्थर निकालने की प्रक्रिया असफल रहा.क्योंकि ज्यों ज्यों खुदाई करते थे वहां वहां जल की धारा निकल आति थी ।


तब राजा , सेना सभी थक हार कर खुदाई कार्य को स्थगित किया और घर के लिए प्रस्थान कर गये ।

उसी रात राजा को देवी का स्वप्न दर्शन हुआ और देवी ने कहा कि मुझे उस स्थान से निकालना व्यर्थ है । अतः उसी स्थान पर पुजा अर्चना की जाए । राजा ने दूसरे दिन ही उसी  स्थान पर देवी की स्थापना करवा दी ।



देवी माँ का प्रतिमा मंदिर के ठीक दरवाजे से तिरछा  क्यों है जानिए रहस्य -

जब कालांतर मे मंदिर बनाया गया, तब देवी प्रतिमा मंदिर के ठीक दरवाजे के सामने सीधा था । परन्तु कुछ वर्षो बाद देवी प्रतिमा थोड़ी थोड़ी तिरछा बड़ताी गयी । जो आज भी वैसे का वैसे तिरछा है । ये सब देवी माँ की लिला हो सकता है ।


इस देवी माँ को  " बिलाई माता " क्यों कहा गया जानिए  -

पुरा कहानी स्पष्ट कर रहा है कि घने जंगलो मे काली बिल्लियों का पुरा झुंड देवी पत्थर की रखवारी कर रहा है । तो हो सकता की इन्हीं काली बिल्लियों के रखवारी से देवी माँ का नाम बिलाई माता रखा गया हो ।
छत्तीसगढ़ही भाषा मे बिल्लियों को बिलाई बोलते है ।


प्रतिवर्ष शरदीय नवरात्र मे बिलाई माता के दरबार मे मेला जैसा माहौल रहेता है । पुरा धमतरी बिलाई माता के नाम से ज्यादा प्रसिद्ध है ।

तो आप भक्त भी माँ के दरबार मे आईए और अपना हाजरी दिलाईए


 卐   जय मां विंध्यवासिनी बिलाई माता धमतरी  卐


ॐ   Jai Ma Vindhyavasinee Bilai Mata ॐ  
                               Dhamtari 













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