छत्तीसगढ़ , जिला गरियाबंद के वि.खं. फिंगेश्वर से करीब एक कि. मी के दुरी पर माण्डव्य ऋषि आश्रम है जो बाबा कुटी आश्रम के नाम से प्रचलित है ।
यह आश्रम राजिम - फिंगेश्वर मुख्य मार्ग रोड के जस्ट टर्निंग पुरेना मोड़ के घने जंगल मे है । इसी जंगल मे सतयुग के बाबा माण्डव्य ऋषि ने तपस्या की थी । यहां बाबा कि कुटिया, यज्ञ शाला आज भी मौजूद है ।
ऐतिहासिक मान्यता -
मान्यता है कि भगवान राम अपने वनवास के दौरान फिंगेश्वर के फनिकेश्वर महादेव की पुजा अर्चना करके राजिम के लिए प्रस्थान किया था । इसी बीच बाबा कुटी आश्रम में विश्राम करके माण्डव्य ऋषि से आगे राजिम जाने का रास्ता पुछा था ।
इसीलिए यहां राम जानकी का मंदिर स्थापित किया गया है । इस आश्रम मे ऐतिहासिक शिवलिंग का मंदिर भी है , सावन के महीने में कांवरिया भोले के मंदिर मे जल चड़हाने आते है । और तो और सावन के सोमवार को भक्तों की भीड़ अच्छी खाशी देखने को मिलती है ।
यह बाबा कुटी आश्रम , छत्तीसगढ़ के पर्यटन माँ घटारानी मार्ग पर पड़ता है । तो शैलानी यहाँ आते जाते रहते हैं ,
जंगलो से प्रफुल्ल इस आश्रम मे शैलानी सेल्फी लेकर आश्रम को यादगार बनाते है ।
यह आश्रम राजिम - फिंगेश्वर मुख्य मार्ग रोड के जस्ट टर्निंग पुरेना मोड़ के घने जंगल मे है । इसी जंगल मे सतयुग के बाबा माण्डव्य ऋषि ने तपस्या की थी । यहां बाबा कि कुटिया, यज्ञ शाला आज भी मौजूद है ।
ऐतिहासिक मान्यता -
मान्यता है कि भगवान राम अपने वनवास के दौरान फिंगेश्वर के फनिकेश्वर महादेव की पुजा अर्चना करके राजिम के लिए प्रस्थान किया था । इसी बीच बाबा कुटी आश्रम में विश्राम करके माण्डव्य ऋषि से आगे राजिम जाने का रास्ता पुछा था ।
इसीलिए यहां राम जानकी का मंदिर स्थापित किया गया है । इस आश्रम मे ऐतिहासिक शिवलिंग का मंदिर भी है , सावन के महीने में कांवरिया भोले के मंदिर मे जल चड़हाने आते है । और तो और सावन के सोमवार को भक्तों की भीड़ अच्छी खाशी देखने को मिलती है ।
यह बाबा कुटी आश्रम , छत्तीसगढ़ के पर्यटन माँ घटारानी मार्ग पर पड़ता है । तो शैलानी यहाँ आते जाते रहते हैं ,
जंगलो से प्रफुल्ल इस आश्रम मे शैलानी सेल्फी लेकर आश्रम को यादगार बनाते है ।
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