Chandi Mata | चंडी माता मंदिर बागबाहरा में प्रति रोज आते है भालू


छत्तीसगढ़ का यह चंडी मंदिर महासमुंद जिले के घुंचापाली गाँव में स्थित है । पहाड़ी पर स्थित इस मंदिर का इतिहास तकरीबन डेढ़ सौ साल पुराना है । गाँव वाले कहते हैं कि यह चंडी मंदिर पहले तंत्र साधना के लिए मशहूर था ।

यहां कई साधु संतो का डेरा था ,  लेकिन अब यह मंदिर आम जनता के लिए है । घुंचापाली चंडी माता का मंदिर बागबाहरा के घने जंगलो के पहाड़ी पर स्थित है ।

 यह जंगल बहुत ही खुंखार जानवरों से भरा पड़ा है । इसी जंगल से खुंखार जानवर भालु का परिवार चंडी माता के मंदिर मे प्रति रोज प्रसाद खाने आते  हैं । जैसे ही शाम को चंडी माता की पुजा आरती का समय होता है ,और भालु का परिवार जंगल से दौड़े चले आते है ।

भालु के इस क्रिया को देखने के लिए लोग दुर - दुर से आते हैं । भालु और चंडी मां का यह चमत्कारी क्रिया टीवी मीडिया और अखबारों का हेडलाईन बन गया है । रोज किसी न किसी अखबारों और टीवी पर प्रशारित किया जा रहा है ।
 भालु का किसी शैलानी पर हमला न करना , प्रति शाम पुजा आरती के समय बिन बुलाए भालु का आ जाना यह सब पुरी क्रिया चंडी माता का चमत्कारी लीला नहीं तो और क्या है ।

भालु खुद अपने हांथो से माता पर चढ़े प्रसाद खाते हैं

छत्तीसगढ़ से दूर भारत के अन्य राज्यों से भी शैलानी चंडी माता के दर्शन के लिए आते है ।
प्रति साल चैत्र नवरात्रि और कुवार नवरात्रि मे भक्त माता के दरबार मे मनोकामना ज्योति जलाते हैं ।



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